Thursday, July 7, 2022

किस्सा रहमानी और शर्मा का

 

किस्सा रहमानी और शर्मा का

लीना मेहेंदळे 08-07-22

 

    आरंभ होता है एक छोटीसी लालचके साथ कि हमें टीआरपी बढानी है। चॅनेलवालोंने उसका श्युअरशॉट तरीका निकाला कि एक मुद्दा उछालो, उसपर दो गुटोंको भिडाओ जो सरकारी और सरकार-विरोधी हों। वे चीखचीखकर बातें करें, गालीगलौज करें, तो भी इसे लोकतंत्रको सशक्त बनानेका उपाय कहा जाय। कार्यक्रममें कितना भडकीलापन लाना है इसकी सीमा लांघकर उसमें ऐसे लोगोंको बुलाया जाने लगा जिनने पहलेसे ही अपने टुकडेटुकडे गँगवाले अजेंडे बना रखे थे। उनके सामने दूसरे ग्रुपकी चींचीं निकलने लगी तो दर्शकोंको और मजा आने लगा।

    ऐसे ही एक डिबेटमें रहमानी साहब भी आये जैसा हर दिन किसी किसी गुटमें आते थे। ऐसोंके विरोधमें जो सरकारी प्रवक्ता आते हैं उनको कदाचित एक ब्रीफ दिया जाता होगा कि नरमाईसे बातें करो, ऐसा हों कि वो गुट दुखी हो जायें जिन्हें एक हाथमें कुरान और दूसरे हाथमें उच्च शिक्षाकी डिग्री देकर हम उनका विश्वास जीतना चाहते हैं। कदाचित यही कारण हो कि टुकडेटुकडे गँगवाले ग्रुपोंके सामने इनकी चींचीं निकलती रहती है।


    तो जनाब एक दिन इन्हीं रहमानी साहबने टीवी चॅनेलपर आकर शिवजीको जीभर कोसा, गालियाँ दीं, निंदा और अपमान किया उन्हें पूजनेवाले हिंदुओंकी अकलपर प्रश्नचिह्न उठाये और यह सब बारबार किये जा रहे थे। टीवी चॅनेल और उनके अॅकर दोनोंके ही पास यह तारतम्य या सदसद्विवेक नही था कि उन्हें रोकते। वे अब विरोधमें बैठी शर्माकी चींचीं सुननेको उतावले थे। गालियाँ जितनी अधिक, चीिचियाना और मिमियाना उतना ही चटखारेवाला। लेकिन पूरी नियमावलीको नुपूरने एक गलत क्षणके मोहमें पडकर भंग कर दिया। याद रहे, उसका दोष वह नही जो उसने कहा, वरन वह है कि उसने चटखारेवाले कार्यक्रमके नियम तोडे।


    अब पार्टीको लगा कि इस तरह विश्वास तो हाथसे जाता रहेगा, सो उसे पार्टीनिकाला दे दिया सीधे पांच वर्षके लिये। यह था तो पार्टीका अंतर्गत मुद्दा, लेकिन सारे चॅनेलोंको टीआरपी बढानेका अवसर मिल गया कि खूब उछालो नुपूरको, किसी मौलवीके हवालेसे बताओ कि उसने ईशनिंदा की है -- ताकि और अधिक चटखारेवाली डिबेट हो सके। संगठित टुकडेटुकडे गँगवाले भी ऐसे मौकोंके लिये पूरी तैयारी कर बैठे थे। हो गया फतवा जारी कि अब तो एक ही सजा-- सर तनसे जुदा।


    कहनेको भारतमें हिंदू बहुसंख्यक हैं। हिंदुओंके आराध्य है राम कृष्ण शिव दुर्गा सरस्वती, काली, भारतमाता, गणेश, हनुमान, गंगा समेत सारी नदियां, गोमाता, कुलदेवता, ग्रामदेवता, प्रत्येक कुल का पूजनीय वृक्ष, हिमालय -- इत्यादी | लेकिन हिंदुओंके आराध्योंके गालियाँ देनेसे ईशनिन्दा होती हो ऐसा मुसलमान नही मानते। वे गायको रिमोटसे उडानेवाला बम खिला सकते हैं और गर्भवती हथिनीको जलते हुए फटाखे खिलाकर मार सकते हैं ताकि हिंदूओकी दयाबुद्धि आहत हो। वे किसीको खतरा बनेबगैर जा रहे जुलूसोंपर पत्थर चला सकते हैं और जब चाहा किसीको मार सकते हैं। इससे ईशनिन्दा तो दूर संविधानका भी अनादर नही होता और यदि किसीकी भावनाएँ इन बातोंसे आहत होती हों तो उनकी बलासे। रहमानी जो बारबार शिवके अनादरसूचक बातें कहे जा रहा था वे सारी इन्हीं प्रवृत्तियोंका प्रतिबिम्ब था। लेकिन मजाल किसी हिंदूकी जो कह सके कि जो सजा रहमानीकी उसके बादही और उससे एक डिग्री कम ही होगी नुपूरकी क्योंकि आरंभ रहमानीने किया था।


    अब देखें कि रहमानी यह सब किसके दमपर कह रहा था। पंचतंत्रमें एक कथा है कि एक संन्यासीकी ऊँचाईपर टाँगी भिक्षाको भी रातमें आनेवाला एक चूहा छलांगें मारकर हथिया लेता था। संन्यासीने समस्या अपने संन्यासी मित्रसे कही। मित्रने आकर देखा सचमुच कुछ चूहे ऊँची ऊँची छलांग लगाकर भिक्षाको गिरा देते और ले जाते। मित्रने कहा - सामान्य चूहे इतनी ऊँची छलांग नही लगा सकते, अवश्य ही ये झुंड किसी धनके मदमें कर पा रहा है। दोनोंने चूहोंके बिल खोदे तो उनमेंसे भारी धन निकला। उसे ले लिया तो अगले दिनसे चूहोंकी छलांग लगानेकी शक्ति समाप्तसी हो गई। रहमानी और उस जैसोंके भी बिलोंको बिना देरी किये खोदा जाना चाहिये - चाहे वह पीएफआय हो या एसडीपी हो या दावत--इस्लामी या अन्य कोई।


    जिन लोगोंने सोशल मीडीयापर लिखा कि नुपूरने कोई गलत नही कहा था उनकी हत्याएँ हो रही हैं ।लेकिन जिस प्रकार हो रही हैं उसके पीछे कई महीनों या वर्षोंकी तैयारी है, जबकि हिंदू उतना ही गाफिल और भरोसा कर बैठा है जैसा उमेश कोल्हे था। इस तैयारी में मदरसे हैं जो छोटे छोटे बच्चोंमें नफरत भर रहे हैं। हमने देखा कि कैसे छोटे छोटे मुस्लिम बच्चे महिलाओं के चित्रपर मूत्र विसर्जन कर रहे हैं और उसका वीडियो बनाकर अपनी वीरता का प्रदर्शन भी कर रहे है। कौन उन्हें यह सब सिखा रहा है?


    केंद्रमे सरकार बनानेके साथ ही मोदीजीने सबका साथ सबका विकासका नारा दिया । आगे उसमे सबका विश्वास और सबका प्रयास भी जोड दिया । लेकिन ये भूल गये कि देशमे कुछ प्रतिशत लोग ऐसे है जो अशांती फैलाने मे ही अपना सार्थक मानते है । तो मोदीजीने जिनके लिए अच्छे काम किये है उन्हे समझानेमे असफल रहे कि यदि वे सज्जन है तो अपने ही समाजके दुर्जनोंके प्रति मुखर होना आवश्यक है अपनी सरकाारी फाइलें छान मारकर देख लें मोदीजी कि कितनोंको उज्ज्वला, आवास योजना, शौचालय, जनधन आदिमें लाभ पहुँचा और उनमेंसे कितने ये कहनेके लिये आगे आये कि ईशनिन्दाके नामपर होनेवाली जिहादी हत्याएँ बंद हों ।


    अब यह देखें कि नुपूरने क्या कहा। उसने यही कहा कि कुरआनके अनुसार मुहम्मदने छः वर्षकी आयशासे निकाह किया और वह नौ वर्षकी हुई तो शरीरसंबंध भी बनाया। यह बात तो कितने ही मौलवी और गैरमुस्लिम भी कई बार कह चुके हैं। कभी उनपर गुस्ताखीका फतवा नही निकला तो अचानक नुपूर कैसे समझे कि उसके कहनेसे गुस्ताखी हो जाती है? और माना कि हो जाती है तो आस्थाको ठेस पहुँचानेके लिये संविधानमें जो सजा है वही मिलनी चाहिये -- वह भी जाँचपडताल और केस चलनेके बाद और उसे पूरा मौका देनेके बाद ही। पहले ही सजा सुना देना शरियामें लागू होता होगा लेकिन भारतमें नही। भारतके संविधानमें सर तनसे जुदा करनेवालेकी सजा भी मौत ही है और यदि वह प्लान करके कोल्ड ब्लडेड मर्डर किया हो तो सारे सहयोगियोंको भी उसी सजाका प्रावधान है। लेकिन क्या हम संविधानसे हटकर शरियाकी ओर बढ रहे हैं?


    रहमानी और उस जैसोंकी संगठनकी शक्ति देखिये। एक सीटी फूँकते ही ज्ञानवापीमें पांच हजार, जुलूसोंपर पत्थर व पेट्रोल बम फेंकनेवाले दो तीन हजार, मोदी-योगी सहित राष्ट्रपतिकी उपस्थिती होनेपर बंदके बहानेसे नमाजके बाद हजारों पत्थबाज जुटाना, कानपुरके चाकू बनानेवाले सलमानके दावत--इस्लामी ग्रुपमें पचास हजार ये सब संगठनकी शक्तिको ही तो बताते हैं। इस तुलनामें हिंदू कितने सतर्क हैं? या कितने मुखर हैं? कानपुरमें कारवााई के पश्चात बार-बार कहा जा रहा था कि एक तर्फा कारवाई हो रही है । लेकिन किसी बीजेपी सदस्य मे उन्हे बताने की हिम्मत नही थी कि जुम्मेके दिन हिंदुओंकी दुकान बंद करने के लिए एक तर्फा कारवाई उनकी तरफ से आरंभ हुई थी नुपुर शर्मा पर तो किसी के निंदा के कारण एफ आय आर हो गई लेकिन जिस किसीने बार बार शिवलिंग को अपमानित किया उनके विरुद्ध एफायार कर सके और वह चर्चा चॅनेलोंपर हो सके ऐसा दमखम बीजेपी मे किसी के पास नही है


    उमेश कोल्हे लाख जतन करे पर उसका मुसलमान दोस्त उसका नही रह सकता। ऐसे ही भारतने भी मुस्लिम देशोंको वॅक्सीन और क्या क्या देकर उनकी लाख सहायता कर ली और प्रतिफल? भारतकी एक व्यक्तिने कुछ कह दिया, मौलवियोंने फतवा निकाला और कतार जैसे छोटे देशने भी भारतके राजदूतको बुलाकर जलील किया। एक ही यहूदी राष्ट्र इसरायल जो अपने अस्तित्वकी लडाई जी जानसे लडता है और एक ही हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र जिसके बहुसंख्यक उमेश कोल्हेकी तरह भरोसा कर सोये रहते हैं कि आओ हमारी गर्दन काट लो। हम इंटेलिजेन्स एजन्सियोंपर भरोसा कर बैठ जाते हैं। लेकिन वे भी घटना हो जानेके बाद जागते हैं।


    पिछले आठ वर्ष से केंद्रीय गृहमंत्रालय का सिद्धांत यही रहा है कि यदि कोई मुस्लिम किसी हिंदू की हत्या कर देता है तो उसके पीछे आंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र बताकर उसे ढूँढने के लिये सरकार के सारे लोग भिड जाते है और फिर खोज पचास साल तक चल सकती है । इस बीच आगे भी हिंदू हत्या होती रहती है और आंतरराष्ट्रीय खोज की फाईल के पन्ने बढते रहते है | लेकिन अगर किसी मुस्लिम की कभी हत्या हो जाये तो तुरंत देश के बडे नेता ट्विट करते हुए हिंदूओंको गुनहगार घोषित कर देते हैं । निकिताने धर्म बदलने और जबरन शादीसे मना किया उसे बीच सडकपर गोली मार दी। अखलाक केसमें मोदीजीका ट्वीट तुरंत गया तो मुस्लिम नेता उसे आजतक भुना रहे हैं और नुपूरको पार्टीसे निकाल दिया तो वैश्विक स्तरपर भी हिदू-टेररिझम के अपप्रचार को ही आप सशक्त कर रहे हैं।


    जो दोषी सामने हैं उन्हें छोडकर जो दूर बैठा है उसके पीछे भाग कर केंद्र सरकार क्या दिखाने की कोशिश कर रही है ? उदयपूर मे जो कन्हैया लाल की निर्मम हत्या हुई उसके पीछे जो दो मुस्लिम युवक है उनका विश्व भर का कनेक्शन खोज कर भारत सरकार उन देशों का क्या उखाड लेगी ? इसके जगह यह प्रयास करना चाहिये कि इन दो युवकों के संपर्क मे उनके व्हाट्सअप ग्रुप मे जितने भी लोग शामिल थे उनको बुलाबुलाकर उनसे पुछताछ की जाय और उनके जरिये देश के अंदर जो आतंकवाद घुस चुका है उसको पहले रोकनेकी कोशिश की जाय! पाकिस्तान जो स्वयं टूट की कगार पर है वह इतना बडा कबसे हो गया कि आप देश के हर गुनाह के लिये पाकिस्तान के षडयंत्र के नाम पर रो रो कर अपनी जिम्मेदारी को झटक रहे है ? क्या केवल यह दिखाना है कि हम भारत के शान्तिदूतों का विश्वास जीत चुके हैं। जनाब, पाकिस्तान को मरने दो, मगर यहाँ जो पाकिस्तान परस्त लोग है, उनको पहले पकडो और उनके समर्थनमें जो उतरते हैं उन्हें पकडो। गहलोत चार दिनोंतक कह रहे थे कि मोदी को ये सब रोकना चाहिये, महाराष्ट्रमें पुलिसको कहा जा रहा था कि घटनाके जिहादी मुद्देको छिपाओ। इसीलिये देशवासियोंको स्वयं ही समझना होगा कि आज हर पार्टी इन जिहादी आतंकियोंको तुष्ट करना चाह रही है, उनके आगे झुक रही है।

    बानगी देखिये। अजमेरमें पुलिसने द्वेषयुक्त भडकाऊ भाषणके आरोपमें मौलवीके साथ तीन व्यक्तियोंको पकडा मौलवी फकर जमाली, रियाझ आणि ताजिम। क्योंकि उन्होंने सर तनसे जुदाका आवाहन किया था. १७ जून को ही अजमेर दरगाहके मुख्य प्रवेशद्वारसे दिये गये द्वेषपूर्ण भाषणसे प्रेरणा लेकर उदयपूरमे कन्हैयालालकी हत्या हुई। प्रश्न उठता है कि १७ जून को यदि अजमेर पुलिस सतर्क हो गई होती, छानबीन करती तो कन्हैयालालकी हत्या रोकी जा सकती थी।


    और हमारे सुप्रीम जजेस क्या कर रहे हैं? नुपूरका सीधासा मुद्दा था कि मेरे विरुद्ध जगह जगह एफायार करके जो मेरी सुरक्षाको संकटमें डाला गया है उससे बचाओ सारी छानबीन एक जगह करो। एक गुनाह पर बीस एफआयआर कोई भी सटरफटर उठता है और एफआयआर करता है। यह तो कानूनका गंदा मजाक है। यही रिलीफ तो अर्णवको मिला और अन्य कइयोंको भी। तो नुपूरको इसपर रिलीफ क्यों नही? इसकी बजाय मिलॉर्डने बिना उसका पक्ष पूछे उसपर गुनाह मढ दिया कि देशका बवाल तुम्हारे कारण हो रहा है। और बिन बोले यह भी इंगित कर दिया कि उसका सर तनसे जुदा हो तभी देशका बवाल थमेगा अर्थात आतंकियोंको संकेत कि तुम किये जाओ और कारण हम नुपूरपर थोप देंगे। नुपूर शर्माने सुप्रीम कोर्ट में बडे बेंच के सामने न्याय माँगने के लिये प्रयास आरंभ किया है मैं उसके धैर्य की सराहना करती हूँ।


    मिलॉर्ड, उन सारी घटनाओंकी सूची देखिये जब बिना किसी प्रवोकेशनके मुस्लिमोंने जिहादी हत्याएँ करी हैं। फिर आपको पूछेंगे कि उनका उत्तरदायित्व किस पर था। गजनी, गोरी, खिलजी, औरंगजेब, टीपू, मोपला, नोआखली, कश्मीरी पंडित ...

    एक छोटा बच्चा वीर हकीकत राय, कमलेश तिवारी......

    मूर्तजा, निकिता, नागराजू ...

    मिलॉर्ड भूलते है कि हिंदूका अस्तित्व ही जिहादियोंको उकसाता है। हमारी परंपरा, शोभायात्राएँ, मूर्तियाँ, मंदिर . . .

    हमारे द्वारा कलमा पढने से मना किया जाना ...

    हमारे द्वारा प्रकृतिका, रिश्तोंका, ज्ञानपरंपराका सम्मान किया जाना.......

    मिलार्ड, आपको श्रीमान योगी जीको भी माफी मागनेका आदेश देना चाहिए क्योंकी उनके अस्तित्वके कारण ही मूर्तजाने गोरखपुरके मठ पर हमला करने का प्रयास किया | योगी जीका अस्तित्वही उसे उकसानेके लिए काफी था । इसलिये आप कहें कि योगी जीको अपने होने पर माफी मांगनी चाहिये ।

    मिलॉर्ड आपने यह भी कह दिया होता कि जिन जिनने इस वर्ष चैत्र प्रतिपदा या रामनवमीके दिन शोभायात्रा निकाली और शांति दूतोंको पत्थरबाजी करने के लिए उकसाया उन्हें अपने शोभायात्रा के गुनाह पर देश से माफी मागनी चाहिये और इस देशको छोडकर समुद्र में जलसमाधी लेनी चाहिये |

    साथही इस देश मे जितने भी मंदिर है वहाँ जाने वाले सभी हिंदूओंको तत्काल शांतिदूतों से माफी मांगते हुए मंदिरोंको तोड देना चाहिए क्योंकी भारत के किसी जगह पर मंदिर होना शांतिदूतोंके नबी का अपमान है

    मिलॉर्ड, आप भारतमें शांती स्थापित करनेका एकमात्र उपाय भी बताही डालें। वही जो गांधीजीने बताया था। कि सारे हिंदू भाई एक लाइनमें खडे हो करके अपनी गर्दने मुसलमान हत्यारोंके आगे झुकाकर खडे रहें कि आओ, हमारी गर्दन काटो | फिर यहाँ रहेगा कोई हिंदू, कोई मंदिर, कोई शिवजीके, कालीके, सीताके, सरस्वतीके अपमानपर आपत्ति करनेवाला।


    गुजरात में एक युवक को कन्हैयालाल(Kanhaiyalal) के समर्थन में पोस्ट लिखने के बाद से धमकी मिलने लगी है। के बाद से युवक के साथ-साथ उसके परिवार में दहशत का माहौल है। युवक ने सतर्कता बरतते हुए पुलिस थाने में FIR दर्ज करवाई है और खुद के साथ-साथ परिवार के लिए सुरक्षा की मांग की है।


    मिलॉर्डोंको छोडकर मैं मोदीजीसे कहना चाहती हूँ कि मोदीजी चेत जाइये, भारतको आपकी आवश्यकता है।

    अमरावतीमे उमेशकी हत्या, उदयपूरमे कन्हैया लालकी हत्या, और अब सूरतके रहने वाले युवराज पोखरानाको गला काटनेकी धमकी। तीनोमें गला काटनेकी बात है और मोदीजी ये आपसे कुछ कहना चाहती है ।

    तीनो प्रतीकात्मक हत्याएं आपको बताने के लिए की गई है कि वे आपकाभी इसी तरह गला काटकर हत्या करना चाहते है | यह एक रिहर्सल है, एक ट्रेनिंग और एक संकेत है जो आपको दिया जा रहा है ।

    ये जो पूरे देशका गला काटकर हिंदूओकी हत्या करने पर तुले है इनका जिम्मेदार नुपूर शर्मा का बयान नही है वरन वह संगठनका घमंड है जिसकी बानगी तसलीम रहमानीने शिका अपमान करके जता दी। ये सारे गले आपके प्रतीकके रूपमे काटे जा रहे है और इनका असल इरादा आप तक पहुंचने का है, जैसा उदयपुर हत्यारोने कहा है ।

    मोदीजी, चेत जाइये। भारतको आपकी आवश्यकता है